दिव्यांगों को भी नहीं बक्शा पंचायतों ने,
व्ह्मील चेयर खरीदी मे हुई एक्सेसबिलिंग,
आष्टा ब्लाक मे जनरल स्टोर से हुई खरीदी,
एक हज़ार रुपए ज्यादा मे की गई खरीदी,
 पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में पोलिंग बूथों पर व्हीलचेयर वितरण को लेकर भारी भ्रष्टाचार,

जनपद सदस्य देवेंद्र वर्मा ने त्यागपत्र देते हुए मुख्यमंत्री  कमलनाथ को जांच के लिए लिखा पत्र,
कहा- दिव्यांगों के सांथ धोखाधड़ी के जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारियों पर होना चाहिए कार्रवाई

सीहोर,नितिन ठाकुर

     
 13 साल तक मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार में रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर मे 1250 पोलिंग बूथों पर बिना टेंडर काल किए जनपदों के मध्यम से व्हील चेयर का वितरण कर दिया गया ।सीहोर जिले के 400 ग्राम पंचायतों से पंच परमेश्वर योजना के तहत डायरेक्ट ठेकेदार के खाते में पेमेंट किया जा रहा है साइकिल चाइनीज़ बताई जा रही है और जिसे इछावर जनपद पंचायत क्षेत्र मे विधिश ट्रेडर्स भोपाल से करीब 5 हजार रुपये मे खरीदा गया है,सीहोर जनपद पचायत मे क्षेत्र मे 45सौ रु.मे,आष्टा मे लोकल जनरल स्टोर से 41सौ रु.मे खरीदी लेकिन आरोप है कि पता करने पर इसकी कीमत बाजार की अन्य दुकानों पर करीब एक हजार रुपये कम बतायी जा रही है।

इसी मामले लेकर सीहोर जिले के इछावर जनपद सदस्य देवेंद्र वर्मा ने  अपना त्यागपत्र भी दे दिया है सांथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र प्रेषित कर पूरे मामले के जांच एवं दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है वर्मा का आरोप है कि नीचे से लगाकर ऊपर तक व्हीलचेयर खरीदने मे सेटिंग हुई है जो दिव्यांगों के सांथ सरासर धोखा है बिना टेंडर काल किए आखिर कैसे इतने बड़े पैमाने पर व्हीलचेयर का पंचायतों द्वारा बारी-बारी से सौदा किया गया! यह सीधा-सीधा विकलांगों के सांथ ठगी और घोटाले का मामला है मिलीभगत के चलते सरकार को भी लाखों रुपए का चूना लगा है जो जांच का विषय है इसमें प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारी और जनपद सीईओ लिप्त दिखाई देते हैं।


इस पूरे मामले को लेकर मीडिया ने व्हीलचेयर साईकिलो को लेकर पडताल की और पहुंचे आष्टा के प्रगति जनरल स्टोर पर जहां साइकिल की वजह किताब-कापी रखी मिली, दुकानदार कैमरे के आगे आनेऔर बोलने से बचते रहे। जिस दुकान का बिल लगा है वह कोई साईकिल नही मिलती है जिससे सीधा सीधा सेटिंग का मामला दिखाई दिया।
जब इस पूरे मामले के संबंध मे सरपंचों से बात की गई तो कुछ सरपंचों का कहना था कि इस पूरी प्रक्रिया मे हमे भ्रष्टाचार की बू आ रही थी क्योंकि हमे इसका बाजार मूल्य मालूम था इसीलिए हमने अपनी पंचायत मे व्हीलचेयर को पांच हजार रुपये मे खरीदना मुनासिब नहीं समझा और कुछ सरपंचों ने स्वीकारा कि दबाव के चलते वह पांच हजार रुपये मे ही व्हीलचेयर खरीदने को विवश हो गए।
सीहोर जिले के आष्टा ब्लाक मे तो हद तब हो गई जब व्हीलचेयर वहां के प्रगति जनरल स्टोर से 4980 रुपये प्रति नग खरीदी गई, जब हम इस दुकान को खोजते हुए बुधवारा रोड आष्टा पहुंचे तो पाया कि यह दुकान सिर्फ होजयरी,स्टेशनरी,सोंदर्य प्रसाधन,पुस्तकें एवं स्पोर्ट्स के सामान-वस्तुएं बेचने के लिए अधिक्रत है।इस दुकान पर एक भी व्हीलचेयर हमे रखी हुई दिखाई नहीं दी।
जब दुकान के प्रोपराइटर से मुखातिब हुए तो वह कैमरे के सामने आने से कतरा गए और सवालों का गोलमोल जवाब देने लगे।
अब सवाल यह उठता है कि आष्टा जनपद की आखिर क्या मजबूरी थी कि उसे अनाधिकृत दुकान (प्रगति जनरल स्टोर)से मंहगेमोल की व्हीलचेयर खरीदना पड़ी।
क्या यह दिव्यांगों के सांथ छलावा नहीं है!!
क्या यह सरकार को लगा लाखों रुपयों का चूना नहीं है!!
क्या यह सब सबूत ठोस कार्यवाही के लिए काफी नहीं हैं!!


इस पूरे मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि व्हीलचेयर खरीदी मे यदि पारदर्शिता नहीं बरती गई तो जांच उपरांत जरुर कार्रवाई की जाएगी।

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