श्रीलंका की राजधानी कोलंबो सहित देश के कई हिस्सों में रविवार को ईसाइयों के पवित्र पर्व ईस्टर के दिन चर्च और होटलों को निशाना बनाते हुए आठ बम धमाके किए गए.
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो सहित देश के कई हिस्सों में रविवार को ईसाइयों के पवित्र पर्व ईस्टर के दिन चर्च और होटलों को निशाना बनाते हुए आठ बम धमाके किए गए. इन धमाकों में 290 लोगों की मौत हो गई, जबकि 450 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इन धमाकों को लेकर भारत के अनुसंधान और विश्लेषण विंग ने दस दिन पहले ही विस्फोट से जुड़ी सटीक खुफिया चेतावनी जारी की थी. इस चेतावनी के जरिए बताया गया था कि इस्लामवादी विचारक ज़हरान हाशमी "लोकप्रिय कैथोलिक चर्च और भारतीय उच्चायोग" के खिलाफ आत्मघाती हमले करने की योजना बना रहा है.
फर्स्टपोस्ट के पास जो दस्तावेज उपलब्ध हैं उसमें उप-पुलिस महानिरीक्षक प्रियालाल दिसानायके ने 11 अप्रैल को चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि श्रीलंका में धमाके हो सकते हैं. चेतावनी से जुड़ी जानकारी की कॉपी रक्षा मंत्रालय और सरकार के सुरक्षा अधिकारियों को दी गई थी. पत्र में कहा गया है, अपने संबंधित क्षेत्रों में गणमान्य लोगों और महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा बढ़ाई जाए, जिससे किसी भी अप्रिय घटना को रोकने में मदद मिल सके.
भारत की खुफिया एजेंसी इस बात को लेकर पिछले कुछ समय से भयभीत हैं कि हिंद महासागर से लगे देशों जैसे श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश में जेहादी आंदोलन को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने आगाह किया है कि जेहादियों का अलगा निशाना भारत हो सकता है.
इसे भी पढ़ें :- श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट न्यूजीलैंड हमले की तरह लिया गया प्रतिशोध जैसा : जी पार्थसारथी
एक अधिकारी ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, "लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी समूह इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस निदेशालय की नजर में हैं जो लगातार देश लिए किसी खतरे से कम नहीं हैं. इसी बीच अब कुछ नए संगठन भी उभर रहे हैं जो पाकिस्तान से नफरत करते हैं और यह बताने में सक्षम है कि वे भी जिहाद कर सकते हैं. दिसानायके ने पत्र के जरिए बताया है कि श्रीलंका की खुफिया सेवा को मोहम्मद हाशिम मोहम्मद ज़हरान द्वारा योजनाबद्ध आत्मघाती हमले के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसे ज़हरान हाशिम के नाम से भी जाना जाता है. जहरान हाशिम, राष्ट्रीय तावहिद जामा नामक एक समूह का नेता है.
इसे भी पढ़ें :- श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट : स्थानीय इस्लामिक संगठन का हो सकता है हमले में हाथ!
जहरान हाशमी और उसके एक सहयोगी शाहिद ने बताया कि 26 दिसंबर 2018 को हमला करने के बाद से वे लोग अकारेजुपट्टू ऑलोविल इलाके में छुपे थे. इस हमले में इस्लामिक संगठनों ने बौद्ध प्रतिमाओं को निशाना बनाया था और उसे काफी क्षति पहुंचाई थी. पत्र में आगे लिखा गया है कि जहरान हाशमी और उसके छोटे भाई जो कि तावहिद की भर्तियां देखता था. वह हर दिन 11 बजे से 4 बजे के बीच अपने घर जाया करते थे और अपने परिवार से मिलते थे.
श्रीलंका आर्मी का पूर्व जवान बहरुद्दीन मोहम्मद मोहरुद्दीन जो कि जहरान हाशमी के काफी करीब था. इसके बारे में कहा जा रहा है कि उसने ही श्रीलंका में हुए हमले के लिए विस्फोटक उपलब्ध कराए थे. बुद्ध की प्रतिमा तोड़ने के बाद से बहरुद्दीन मोहम्मद मोहरुद्दीन भी छुपा हुआ था और वो अपने परिवार से मिलने के लिए हर शुक्रवार को जाता था. चौथा संदिग्ध मोहम्मीद मिलान के बारे में कहा गया है कि उसकी जहरान हाशमी से जान-पहचान थी और वो सोशल मीडिया पर वह गैर इस्लामिक लोगों के खिलाफ आवाज उठाता था जो न्यूजीलैंड हमले की बातें करते थे.
Post A Comment: