समस्त् सृष्टि की आधारभूत, शक्तिमयी व आन्तरिक प्रेरणा माता जगदम्बा की पूजा-अर्चना तथा उपासना करना प्रत्येक सनातनी का धर्म है। सर्वसिद्धि का अवसर है चैती दुर्गापूजा। हर वर्ष की भांति इस वर्ष 06 अप्रैल (शनिवार) से 14 अप्रैल 2019 (रविवार) तक है चैती नवरात्रि और 14 अप्रैल (रविवार) को ही रामनवमी और दशमी है। हर वर्ष चार नवरात्र होते हैं। शारदीय नवरात्र अश्विन मास शुक्ल पक्ष में होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में चैती नवरात्र होता है। दोनों नवरात्र धूम-धाम से पूरे देश में मनाया जाता है। इसके अलावा दो नवरात्रि माघ शुक्ल पक्ष और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में आते हैं जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। वर्ष में माघ, चैत, आषाढ तथा आश्विन माह में यानी कुल चार नवरात्र मनाने का शास्त्र सम्मत विधान है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक माता जगत जननी जगदम्बा की पूजा-अर्चना, व्रत तथा उपासना विशेष प्रभावी और फलदायी होते हैं। 06 अप्रैल  2019 (शनिवार) से प्रारंभ है, जो 14 अप्रैल 2019 (रविवार) विजया दशमी को समापन होगी। बाबा-भागलपुर बेहद कड़े नियम व हठ योग के साथ साधना करते हैं और दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। जबकि श्रद्धालुगण, उपासक/साधक माँ जगदम्बा की पूजा-अर्चना में पूरी तरह मग्न हैं। वहीं दूसरी ओर बाबा-भागलपुर नौ दिनों के लिए कठिन साधना में "मौनव्रत" पर बैठे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में यहाँ यह बतलाना उचित प्रतीत हो रहा है कि अन्तरराष्ट्रीय  स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी, "बाबा-भागलपुर", भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ की 2003 ईo से अब तक निरन्तर एक के बाद एक भविष्यवाणी सही साबित हुई है। इनकी दिसम्बर 2018 ईo में  चर्चित व सत-प्रतिशत सच साबित हुई भविष्यवाणी जिसका शीर्षक:- 1. वसुन्धरा राजे की नहीं गलेगी दाल बीजेपी का हो सकता है बुरा हाल 2.मध्यप्रदेश में छिन सकती है शिवराज की कुर्सी मजबूरन छोड़नी पर सकती है कुर्सी 3. डाॅo रमण सिंह को छत्तीसगढ़ से छत्तीस का आँकड़ा भी हो सकता है। बाबा-भागलपुर का जगत जननी माँ जगदम्बा के प्रति श्रद्धा-भक्ति ही अद्भुत है। बाबा भागलपुर सभी नवरात्रि में नौ दिनों तक बड़े ही कठोर तप-साधना व मौनव्रत रखते हैं और इन दिनों सब कुछ त्याग कर देते हैं। बाबा-भागलपुर ने लिखित रूप में बताया कि नवरात्रि अवधि के दौरान जगत जननी माँ जगदम्बा की मानस जप, ध्यान और भक्ति से नवरात्रा को पूर्ण कर विजया दशमी को श्रीदुर्गासप्तशती पाठ और हवन करने के बाद मौनव्रत को तोड़ते हैं तथा भोजन ग्रहण करते हैं। बेहद कठिन है बाबा-भागलपुर की हठयोग साधना।


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