बता दें मुंबई में यौनकर्मियों के समुदाय पर महामारी की सबसे बुरी मार है. महामारी से जुड़े सुरक्षा के मानको के चलते उनका व्यवसाय बंद हो गया. सितंबर में, यौनकर्मियों की दरबार महिला समन्वय समिति ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसमें कहा गया था कि समुदाय को भोजन और रहने की कमी के साथ-साथ वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है.
5,600 यौनकर्मियों और उनके 1,592 बच्चों की सूची तैयार
29 सितंबर को, SC ने सभी राज्यों को पहचान के प्रमाण पर जोर दिए बिना यौनकर्मियों को ड्राइ राशन देने का निर्देश दिया था.अदालत ने राज्यों से कहा कि वे न केवल उन यौनकर्मियों को राशन प्रदान करें, जिन्होंने इसके लिए अप्रोच किया था बल्कि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं. राज्य के महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग ने अब तक मुंबई जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी (एमडीएसीएस) की मदद से मुंबई में 5,600 यौनकर्मियों और उनके 1,592 बच्चों की सूची तैयार की है.
सरकार ने हर महीने 5,000 रुपये के DBT के लिए बैंक विवरण और आधार कार्ड नंबर पर जोर दिया है. एंटी ट्रैफिकिंग एनजीओ की प्रेरणा प्रीति पाटकर ने कहा- 'एक एनजीओ को एक सेक्स वर्कर की पहचान के लिए एक रेफरल पत्र लिखना है. जो लोग किसी एनजीओ से नहीं जुड़े हैं, उन्हें आर्थिक सहायता कैसे मिलेगी? अधिकांश के पास बैंक खाता या आधार कार्ड भी नहीं है.'
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