कच्छ जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट करीब पांच हजार से अधिक सिख परिवार रहते हैं. इनमें से ही कुछ किसानों से पीएम मोदी मुलाकात करेंगे. दिल्ली की सीमाओं पर जो आंदोलन किसान कर रहे हैं, उनमें अधिकतर संख्या पंजाब-हरियाणा के सिख-पंजाबी किसानों की है, ऐसे में माना जा रहा है कि इस मुलाकात के जरिए पीएम मोदी एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.
इन किसानों के साथ ताजा कृषि कानूनों पर चर्चा हो सकती है और उनका फीडबैक लिया जा सकता है. ऐसा पहली बार होगा जब कृषि कानून को लेकर जारी विरोध के बीच पीएम मोदी खुद किसानों के बीच होंगे. इस मुलाकात से इतर पीएम मोदी कच्छ के हस्तकला कारीगरों के साथ भेंट करेंगे.
पीएम मोदी किसान विकास योजना के अंतर्गत कच्छ जिला सहकारी दूध उत्पादन संघ लिमिटेड द्वारा 129 करोड़ रुपए से अधिक के खर्च से तैयार होने वाले डेरी प्लांट का भूमि पूजन भी करेंगे. ये परियोजना भी किसानों के लिए ही होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब राज्य सरकार की ओर से 8.37 करोड़ रुपए की सहायता से कच्छ जिले में वर्ष 2013-14 में 2 लाख लीटर की क्षमता के मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की शुरुआत की गई थी.
कृषि कानून के मसले पर दिल्ली की सीमाओं पर करीब बीस दिन से किसान डटे हुए हैं. किसानों की मांग है कि कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाए और पुराना सिस्टम ही चालू रखा जाए. अगर बदलाव करना है तो MSP को कानून का हिस्सा बना दिया जाए.
हालांकि, सरकार की ओर से लगातार कृषि कानूनों को किसानों के हित के लिए बताया जा रहा है. किसानों की मांग को देखते हुए सरकार कुछ हदतक संशोधन को राजी हुई है लेकिन किसान पीएम मोदी से मुलाकात कर कृषि कानूनों को रद्द करवाने पर अड़े हैं.
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