नयी दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को कहा कि उसकी हमेशा से अपने राष्ट्रीय हितों पर आधारित स्वतंत्र विदेश नीति रही है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर उसका दृष्टिकोण किसी देश के खिलाफ नहीं है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले, रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने आरोप लगाया था कि पश्चिमी देश हिंद-प्रशांत रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए ‘चीन विरोधी रूख’ में भारत को भी शामिल करने के वास्ते ‘‘आक्रामक और कुटिल’’ नीति अपना रही हैं। लावरोव की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत का रूख मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2018 में शांगरी ला वार्ता में अपने संबोधन में कह चुके हैं कि भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र को रणनीति के तौर पर या सीमित सदस्यों के समूह के प्रभुत्व या खेमेबाजी के तौर पर नहीं देखता है। यह रुख मुक्त, खुले और समावेशी क्षेत्र के लिए है।’’
लावरोव ने रूस में एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि अमेरिकी नेतृत्व में कुछ पश्चिमी देश भारत के साथ रूस के करीबी संबंधों को कमतर करने के प्रयास में लगे हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘कुटिल, आक्रामक नीति अपना रहे पश्चिमी देशों की नजर भारत पर है और वे, तथाकथित ‘क्वाड’ के जरिए हिंद-प्रशांत रणनीति को बढ़ावा देकर भारत को चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ ‘क्वाड’ समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं और इसका मुख्य लक्ष्य मुक्त और सबके लिए खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत की हमेशा से अपने राष्ट्रीय हितों पर आधारित स्वतंत्र विदेश नीति रही है। हम आशा करते हैं कि हमारे सारे भागीदार इसे अच्छी तरह से जानते हैं और इसकी सराहना करते हैं।
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