गुजरात चुनाव में बंपर जीत के बावजूद हिमाचल की हार ने बीजेपी की जीत के जश्न को फीका कर दिया है. पहाड़ी राज्य में सत्ता गंवाने के बाद भगवा पार्टी हार की समीक्षा में जुटी है. शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक संगठन में गुटबाजी की वजह से बीजेपी सत्ता से दूर रह गई. हमीरपुर समेत कई जिलों में पार्टी का खाता तक नहीं खुला.
रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव परिणाम आने के बाद अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ हार को लेकर चर्चा भी की. केंद्र में मजबूत सरकार होने के बावजूद राज्यों में आंतरिक गुटबाजी ने पार्टी हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी है.
बीजेपी समय रहते अगर गुटबाजी पर रोक नहीं लगा पाई तो अगले साल कई राज्यों में पार्टी को शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं, किन-किन राज्यों में पार्टी के भीतर गुटबाजी हावी है?
1. राजस्थान- वसुंधरा वर्सेज गजेंद्र शेखावत-सतीश पूनिया
2018 में सत्ता गंवाने के बाद से ही बीजेपी राजस्थान में गुटबाजी जारी है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत के बीच अब भी अदावतें की खबरें आती रहती है. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के खिलाफ भी वसुंधरा गुट लगातार मोर्चा खोले रहता है.
जुलाई 2021 में शेखावत-पूनिया के खिलाफ बयान देने की वजह से बीजेपी ने वसुंधरा के करीबी और पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा को पार्टी से निकाल दिया था. हालांकि, गतिरोध तब भी नहीं रूका. इसी साल राज्यसभा चुनाव मे वसुंधरा के करीबी विधायक शोभारानी ने पार्टी के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग कर दिया.
वसुंधरा राजस्थान की दो बार सीएम रह चुकी हैं. जनता के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. वसुंधरा के बेटे दुष्यंत अभी झालवाड़ से सांसद भी हैं. राजस्थान में चुनाव के अब एक साल से भी कम का वक्त बचा है. ऐसे में अगर वहां गुटबाजी जारी रही तो पार्टी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
2. कर्नाटक- बोम्मई वर्सेज येद्दियुरप्पा, चुनाव में दो महीने शेष
राजस्थान की तरह कर्नाटक में भी पार्टी के भीतर गुटबाजी चरम पर है. यहां पूर्व सीएम येद्दियुरप्पा और वर्तमान सीएम बीएस बोम्मई गुट आमने-सामने है. ऑपरेशन लोटस के तहत 2019 में सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने येद्दियुरप्पा को सीएम बनाया था.
जुलाई 2021 में पार्टी ने येद्दियुरप्पा को हटाकर बीएस बोम्मई को राज्य का सीएम बनवाया. इसके बाद से ही येद्दियुरप्पा गुट हाईकमान और सीएम के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. पिछले महीने डैमेज कंट्रोल करने के लिए पार्टी ने येद्दियुरप्पा को केंद्रीय पार्लियामेंट बोर्ड का सदस्य भी नियुक्त किया था.
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