जस्टिस रोहित देव ने संवाददाताओं से कहा कि व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया है. जस्टिस देव को जून, 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के जस्टिस रोहित देव ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर (Nagpur) पीठ के जस्टिस देव ने अदालत में कई वकीलों की मौजूदगी में यह घोषणा की और यह भी कहा कि वह ‘अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकते.’’ इस घोषणा के बाद उनके समक्ष सूचीबद्ध मामले समाप्त मान लिए गए.

एक वकील के अनुसार जस्टिस देव ने कहा, ‘‘ अदालत में जो भी मौजूद हैं, मैं आप सभी से माफी मांगता हूं. मैंने आपको डांटा क्योंकि मैं चाहता हूं कि आपमें सुधार आए. मैं आपमें से किसी को आहत नहीं करना चाहता क्योंकि आप सभी मेरे लिए परिवार के जैसे हैं, लेकिन मुझे यह बताते हुए दुख है कि मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. मैं अपने आत्म सम्मान के विरूद्ध काम नहीं कर सकता. आप लोग कठिन परिश्रम करें.’’

जस्टिस देव ने दिया इस्तीफा
बाद में जस्टिस देव ने संवाददाताओं से कहा कि व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया है और अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति के पास भेजा है. पिछले साल जस्टिस देव ने माओवादियों के साथ कथित संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एन साईंबाबा को बरी कर दिया था और कहा था कि अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत वैध मंजूरी के अभाव में सुनवाई की कार्रवाई ‘अमान्य’है. उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश पर स्थगन लगा दिया था और हाईकोर्ट की नागपुर पीठ को इस मामले पर नए सिरे से सुनवाई करने का आदेश दिया था. जस्टिस देव ने महाराष्ट्र सरकार के तीन जनवरी के सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के क्रियान्वयन पर स्थगन लगा दिया था.

 इस प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार को नागपुर-मुंबई समृद्धि एक्सप्रेसवे के निर्माण या क्रियान्वयन कार्य में लगे ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे लघु खनिज उत्खनन के संबंध में राजस्व विभाग की दंडात्मक कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार दिया गया था. जस्टिस देव को जून, 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था और वह दिसंबर, 2025 में सेवानिवृत होने वाले थे. हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किये जाने से पूर्व उन्होंने वर्ष 2016 में महाराष्ट्र सरकार के लिए महाधिवक्ता के रूप में काम किया था.



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