निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने अविश्वास प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है. सदन में हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए राणा ने विपक्षी पार्टियों से तीखे सवाल किए हैं.
अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सुबह से विपक्ष के जितने भी सदस्यों ने अपनी बात रखी है उनका सिर्फ एक ही टारगेट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ उसको लेकर किसी ने भी सहानुभूति नहीं दिखाई. महिलाओं को लेकर विपक्ष का एक भी शब्द सुनाई नहीं दिया. निर्दलीय सांसद ने कहा कि मणिपुर में हमारी महिलाओं के साथ जो हुआ वो निंदनीय है, सभी को इसका विरोध करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष से सवाल पूछ दिया. उन्होंने पूछा कि घटना (वायरल वीडियो वाली) मई में हुई लेकिन विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल मानसून सत्र से पहले जुलाई में वहां क्यों गया?
नवनीत राणा ने कहा कि विपक्ष ये सुनने को तैयार नहीं है कि सरकार महिलाओं को लेकर कितनी संवेदनशील है. विपक्षी दल के नेता राजस्थान में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? महिलाओं के मुद्दे पर राजनीति हो रही है. जब घटना मई में हुई तो जुलाई में क्या विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल वहां फोटो खिंचवाने गया था? राजस्थान में जहां पर विपक्ष की सरकार है, वहां पर नाबालिग लड़की के साथ अत्याचार होता है तो विपक्ष का डेलीगेशन वहां क्यों नहीं जाता है? सांसद ने कहा कि विपक्ष के नेताओं को इन सवालों के जवाब जरूर देने चाहिए.
श्रीकांत शिंदे ने किया हनुमान चालीसा पाठ, यह बोली नवनीत राणा
अमरावती सांसद ने कहा, "विपक्ष पूछता है मोदी जी मौन क्यों हैं, मैं पूछती हूं राजस्थान की घटना पर विपक्ष मौन क्यों है?" उन्होंने शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के लोकसभा में हनुमान चालीसा पढ़ने का भी जिक्र किया. नवनीत राणा ने कहा कि आज श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा में हनुमान चालीसा का पाठ किया. मैंने तो महाराष्ट्र में बस हनुमान चालीसा का नाम ही लिया था तो मुझे घर से घसीटकर 14 दिनों तक जेल में और दो दिनों तक लॉकअप में रखा गया था. लेकिन आज पीएम मोदी की सरकार है तो संसद में कोई ऐसा अत्याचार नहीं करेगा.
सिर्फ मोदी नाम पर करते हैं विरोध- नवनीत राणा
नवनीत ने कहा कि महाराष्ट्र में एसटी महामंडल की महिलाएं जब अपने हक के लिए आवाज उठा रही थीं तो उन्हें लॉकअप में करीब एक महीने तक सड़ने के लिए भेज दिया गया था. तब ये विपक्ष कहां गया था? तब इस विपक्ष ने मौन धारण क्यों किया था. इनका भी विपक्ष को जवाब देना चाहिए. मणिपुर, महिलाएं, महिलाओं पर अत्याचार, महिलाओं को होने वाली पीड़ा, ये इनका (विपक्ष) विषय नहीं है. सिर्फ पीएम मोदी का नाम है तो इनको विरोध करना है. यही इनका एजेंडा बन गया है. पूरा भारत प्रधानमंत्री के साथ है.
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