सामना के संपादकीय में लिखा गया- मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम का अमृत महोत्सव और अकाल रहा एक तरफ, राज्य सरकार ने तो अपने राजसी ठाठ-बाट का दर्शन मराठवाड़ा में कराया.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में कैबिनेट की बैठक पर उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट वाली शिवसेना ने सवाल खड़े किए हैं. पार्टी ने दावा किया है कि इस बैठक में कुछ नहीं होगा. सीएम आएंगे, झंडा फहराएंगे और चले जाएंगे लेकिन जनता को कुछ नहीं मिलेगा.
शिवसेना ने मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र पर बड़ा जुबानी हमला करते हुए कहा है कि राज्य मंत्रीमंडल की बैठक के लिए शहर के होटल बुक किए गए हैं.लाखों रुपये खर्च किए गए इन सबसे जनता को कुछ मिले, यह मुश्किल है. शिवसेना ने कहा कि छत्रपति संभाजीनगर में आज होनेवाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक पर लाखों रुपए खर्च कर शहर के एक से बढ़कर एक महंगे होटल्स सरकार की ओर से बुक कर लिए गए हैं. इसके अलावा आवागमन के लिए सैकड़ों घोड़ा-गाड़ी हैं ही. ऐसे पांच सितारा वातावरण में करोड़ों रुपयों की बर्बादी कर यह बैठक संपन्न होनेवाली है. यानी कैबिनेट बैठक के लिए नाम मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के अमृत महोत्सव का और झांसा मराठवाड़ा के अकाल पर राहत भले ही हो लेकिन यह बैठक राजसी ठाठ-बाट वाली है.
सामना के संपादकीय में लिखा गया- मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम का अमृत महोत्सव और अकाल रहा एक तरफ, राज्य सरकार ने तो अपने राजसी ठाठ-बाट का दर्शन मराठवाड़ा में कराया. आज मराठवाड़ा में मुख्यमंत्री आएंगे और झंडा फहराकर चले जाएंगे, लेकिन मराठवाड़ा की जनता एक बार फिर धोखेबाजी के बोझ तले रौंदी जाएगी.
'अमृत कम और झूठ-फरेबी घोषणाओं के विष का प्याला ज्यादा'
संपादकीय में लिखा गया- मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) स्वतंत्रता का अमृतकाल अपने अनुसार मना रहे हैं, जिसमें जनता के लिए अमृत कम और झूठ-फरेबी घोषणाओं के विष का प्याला ज्यादा है. मराठवाड़ा के मामले में भी इससे अलग क्या होगा? यही घोषणा और वही धोखेबाजी. पहले फडणवीस (डिप्ट सीएम) ने मराठवाड़ा के लिए घोषणाओं की बरसात कर दी. अब असंवैधानिक मुख्यमंत्री भी यही करेंगे.
सामना में लिखा गया - मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के अमृत महोत्सव का महत्व जानकर सरकार ने कैबिनेट की बैठक ली. अमृत महोत्सव के एक समारोह के लिए देश के गृहमंत्री अमित शाह संभाजीनगर में आने वाले थे, लेकिन प्रशासन द्वारा कार्यक्रम की संपूर्ण रूपरेखा तैयार करने के बाद अमित शाह ने अचानक मराठवाड़ा का दौरा टाल दिया. मुख्यमंत्री हों या केंद्रीय गृहमंत्री शाह हों, शहर में पहुंचकर वह लोगों को सिर्फ आश्वासन ही दिए होते. पिछले आठ महीनों में राज्य के डेढ़ हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 685 किसान केवल मराठवाड़ा के ही हैं.
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