मुंबई की एक अदालत ने एक सिनेमैटोग्राफर से चार हजार रुपये की रिश्वत लेने के लिए एक एयर कस्टम अधीक्षक और एक हवलदार को तीन साल जेल की सजा सुनाई है.
एक विशेष सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) अदालत ने कैमरे और अन्य उपकरणों के लिए निर्यात प्रमाण पत्र देने के लिए एक सिनेमैटोग्राफर से चार हजार की रिश्वत लेने के लिए हवाई अड्डे पर तैनात एक एयर कस्टम अधीक्षक और एक हवलदार को तीन साल की कैद की सजा सुनाई है. शिकायतकर्ता ओंकार राऊत ने अपने बयान में सीबीआई को बताया कि एयर कस्टम अधीक्षक वासुदेव निनावे ने कैमरा उपकरण के लिए निर्यात प्रमाणपत्र जारी करने के लिए उनसे और उनके दोस्त पुनित देसाई से पांच हजार रुपये की मांग की थी, जिसे वे कतर की यात्रा के दौरान ले जा रहे थे.
उन्होंने कहा कि बातचीत के बाद, निनावे के निर्देश पर, देसाई ने हवाई अड्डे के प्रस्थान लाउंज में टर्मिनल टी-2 के शौचालय में सीमा शुल्क हवलदार जेएस मोंडकर को चार हजार दिए. हालांकि, मामला 18 फरवरी, 2019 को राउत और देसाई के भारत लौटने के बाद दर्ज किया गया था. दावा किया गया कि जब देसाई मोंडकर को रिश्वत दे रहे थे, तब राउत ने अपने मोबाइल फोन पर घटना का वीडियो बनाया था. सीबीआई ने राउत के फोन से फुटेज बरामद किया, जिसका इस्तेमाल आरोपियों के खिलाफ सबूत के तौर पर किया गया.
आरोपी ने की थी देसाई से मुलाकात
इसके अलावा, सीमा शुल्क (एयर कार्गो) के सीसीटीवी फुटेज से यह भी पता चला कि आरोपी ने देसाई से मुलाकात की, इसके बाद, देसाई वॉशरूम में गया जहां मोंडकर ने रिश्वत की रकम लेने के लिए उसका पीछा किया. एफआईआर दर्ज करने से पहले सीबीआई ने दोनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी ले ली थी. अपने बचाव में, सीमा शुल्क कर्मियों ने मंजूरी पर सवाल उठाया और कहा कि यह बिना दिमाग लगाए यांत्रिक रूप से दी गई थी. हालांकि, अदालत ने कहा कि मंजूरी देने वाले प्राधिकारी ने दोनों के खिलाफ सीबीआई द्वारा एकत्र किए गए सभी सबूतों पर विचार करने के बाद ही अभियोजन की मंजूरी दी थी.
वहीं इसके अलावा, अदालत ने राउत द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो को उनके खिलाफ सबूत के रूप में स्वीकार करने पर उनकी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया और कहा कि वीडियो में आरोपियों की पहचान की गई थी. अदालत ने सीमा शुल्क अधिकारी और हवलदार को दोषी ठहराते हुए कहा, "दोनों आरोपियों के पास सीसीटीवी कैमरे और बाद में राउत द्वारा फोन पर रिकॉर्ड किए गए वीडियो में कैद घटना और घटनाओं के अनुक्रम के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं था."
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