महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग के बाद अब मुस्लिम आरक्षण पर चर्चा शुरू हो गई है. इसे लेकर डिप्टी सीएम अजित पवार ने क्या कुछ कहा है आप भी जानिए.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राज्य के अल्पसंख्यक विभाग मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक की और वह आगे का रास्ता तलाशने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समक्ष मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाएंगे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता ने पुणे में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने हाल में राज्य के अल्पसंख्यक मंत्री अब्दुल सत्तार, संबंधित विभाग के अधिकारियों और मुस्लिम समुदाय से संबंधित मुद्दों पर कार्य करने वाले कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी.
क्या बोले अजित पवार?
उन्होंने कहा, ‘‘बैठक के दौरान मौलाना आजाद मंडल से संबंधित विषयों, वक्फ बोर्ड संपत्ति और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई.’’ पवार ने याद दिलाया कि (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के सत्ता में रहने के दौरान) मुस्लिमों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की गारंटी दी गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने (मुस्लिमों के लिए) शिक्षा में आरक्षण की स्वीकृति दी थी लेकिन नौकरी में आरक्षण को खारिज कर दिया था. बाद में समान शिक्षा के लिए सरकार शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम लाई.’’
पवार ने कहा कि उन्होंने बैठक में कहा कि सत्तार और एक अन्य मंत्री हसन मुशरिफ की राय थी कि मुस्लिमों को आरक्षण मिले और चूंकि यह तीन दलों की सरकार है इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं इस मुद्दे को मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने रखूंगा और आगे का रास्ता तलाशने की कोशिश करेंगे. पवार ने कहा कि वह शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के एक साल बाद इसमें शामिल हुए और उनका मानना है कि दोनों पार्टियों (बीजेपी और शिवसेना) के बीच समझ बन गई है.
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार में शामिल होने के बाद मैंने मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ चर्चा की. उन्होंने मुझे बताया कि वे इस बात से सहमत हैं कि वे राज्य का सर्वांगीण विकास होना चाहिए.’’ पवार ने कहा कि शिंदे और फडणवीस ने उन्हें सहज सहयोग और मिलकर काम करने का आश्वसन दिया. उन्होंने कहा, ‘‘इस बात पर भी चर्चा हुई कि अगर कोई ऐसा मुद्दा आता है जिस पर तीनों पार्टियों की राय अलग-अलग हो तो हम लोग (शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी) एक साथ बैठेंगे और समाधान तलाशेंगे और अगर जरूरत हुई तो विषय को चर्चा के लिए उच्च स्तर तक ले जाया जा सकता है.’’
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