अगर सामान्य गेमर्स की बात करें तो भी 2022 के स्टेटिस्टा के आंकड़ों के अनुसार, हर प्लेयर एवरेज हर हफ्ते चार घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताता है. जाहिर सी बात है कि इतने लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहने से स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ता है. इनमें गेमर आइज सिंड्रोम की समस्या एक प्रमुख चिंता का विषय है.
इसलिए गेमर आइज सिंड्रोम को समझना जरूरी है क्योंकि यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में डिजिटल युग से जुड़ी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता बन गया है.
पहले जानिए क्या होता है गेमर आइज सिंड्रोम?
गेमर आइज सिंड्रोम कुछ हद तक ड्राई आइज सिंड्रोम जैसा ही होता है, जो लंबे समय तक गेमिंग के कारण होता है. यह किसी भी तरह की डिजिटल गेमिंग से हो सकता है. चाहे आप स्मार्टफोन, टीवी, कंप्यूटर मॉनिटर या यहां तक कि वीआर हेडसेट पर गेम खेलते हों.
लगातार गेम खेलते समय हम अक्सर पलक झपकाना कम कर देते हैं या भूल जाते हैं. इससे हमारी आंखें सूखने लगती हैं. कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली तेज रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है. वहीं बिना आराम के लंबे समय तक स्क्रीन पर ध्यान लगाने से आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं और उन पर जोर पड़ता है.
क्या सिर्फ वीडियो गेम ही आंखे खराब होती हैं?
लगभग हर डिजिटल डिवाइस में स्क्रीन होती है. यह कहना गलत होगा कि सिर्फ वीडियो गेम ही आपकी आंखों को खराब करते हैं. सही बात यह है कि लंबे समय तक वीडियो गेम खेलने से आंखों पर बुरा असर पड़ता है.
वीडियो गेम खेलते समय नजरें ज्यादातर स्क्रीन पर ही रहती हैं. लगातार चलते-फिरते ग्राफिक्स पर ध्यान लगाने से बाद में दूसरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है. हम आम तौर पर हर मिनट में लगभग 12 बार पलकें झपकाते हैं, लेकिन कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय यह संख्या घटकर मात्र 5 रह जाती है.
भारत में कितनी बढ़ी है ड्राई आई डिजीज की समस्या?
ड्राई आई डिजीज (DED) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखों में पर्याप्त आंसू नहीं बनते हैं या बनने वाले आंसू जल्दी सूख जाते हैं. आंसू आंखों को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. वे आंखों को नम रखते हैं, धूल और मलबे को साफ करते हैं. साथ ही संक्रमण से बचाते हैं.
उत्तर भारत में हुए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 32 फीसदी लोगों को ड्राई आई डिजीज है और लक्षणों के आधार पर 81 फीसदी मामलों में यह गंभीर स्तर का था. वहीं दक्षिण भारत में एक अन्य अध्ययन में 1.46 फीसदी लोगों में ड्राई आई डिजीज की शुरुआत देखी गई. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगले दशक के अंत तक शहरी और ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा DED से पीड़ित होगा.
गेमर आइज की समस्या का पता कैसे लगाएं?
गेमर आइज को डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (CVS) भी कहा जाता है. इसके कुछ लक्षणों से पता चल सकता है कि आपको गेमर आइज की समस्या तो नहीं हो गई है. इनमें सबसे प्रमुख लक्षण हैं- आंखों में सूखापन और खुजली होना, धुंधला दिखाई देना, सिरदर्द होना.
आंखों में जलन और खुजली: यह गेमर आइज का सबसे आम लक्षण है. जब आप लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो पलक कम झपकाते हैं, जिससे आपकी आंखें सूख जाती हैं और उनमें जलन और खुजली होने लगती है.
धुंधला दिखाई देना: आंखों में थकान और सूखापन के कारण आपको धुंधला दिखाई दे सकता है. हालांकि ये आमतौर पर आराम करने के बाद ठीक हो जाता है.
आंखों में दर्द: स्क्रीन पर लगातार ध्यान केंद्रित करने से आंखों की मांसपेशियों में तनाव और दर्द हो सकता है.
सिरदर्द: गेमर आइज अक्सर सिरदर्द का कारण बन सकता है, खासकर माथे के सामने और आंखों के आसपास.
थकान: आंखों पर लगातार जोर पड़ने से थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है.
गर्दन और कंधे में दर्द: गलत तरीके से बैठने या स्क्रीन को बहुत करीब से देखने से गर्दन और कंधों में दर्द हो सकता है.
लाल आंखें: आंखों में जलन और सूखापन के कारण आंखें लाल हो सकती हैं.
गेमर आइज से पीड़ित लोग ज्यादा रोशनी में असहज महसूस करते हैं. उन्हें चमकदार रोशनी में देखने में परेशानी हो सकती है.
हालांकि यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ये सभी लक्षण हर व्यक्ति में समान रूप से नहीं होते हैं. कुछ लोगों को इनमें कुछ लक्षण हो सकते हैं, जबकि किसी में ज्यादा लक्षण भी दिख सकते हैं.
गेमर्स अपनी आंखों को कैसे स्वस्थ रखें?
गेमर आइज एक ऐसी समस्या है जो अगर सही तरीके से ध्यान न दिया जाए तो धुंधली दृष्टि, दर्द और आंखों में रूखापन जैसी स्थायी समस्याएं पैदा कर सकती है. इसलिए आंखों की सुरक्षा के लिए बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है. नियमित रूप से वीडियो गेम खेलने वाले लोगों को अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ उपाय अपनाने चाहिए.
गेमर्स स्क्रीन से कम से कम 6-10 फीट की दूरी पर बैठना चाहिए. स्टैंडिंग डेस्क का इस्तेमाल करके स्क्रीन को अपनी आंखों के लेवल पर रखें. हर 30 मिनट के बाद ब्रेक लेना चाहिए. ऐसे चश्मे (Eye-Protecting Glasses) पहनें जो आपकी आंखों को स्क्रीन की हानिकारक रोशनी से बचाते हैं. अपनी आंखों को नियमित रूप से चेक करवाना और पर्याप्त रोशनी में गेम खेलना भी जरूरी है.
इनके साथ ही कुछ ऐले आसान तरीके भी जान लीजिए जिनसे लंबे समय तक स्क्रीन के इस्तेमाल के बावजूद आपकी आंखें स्वस्थ और आरामदायक रह सकती हैं.
20-20-20 नियम का पालन करें: कुछ कुछ देर में स्क्रीन से अपनी नजरें हटाकर आंखों को इधर-उधर घुमाएं. खास तौर से 20-20-20 नियम का पालन करना चाहिए. यानी हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें और कम से कम 20 फीट दूर स्थित किसी चीज को देखें. यह आसान उपाय आंखों के खिंचाव और थकान को कम करने में मदद कर सकता है.
बार-बार पलकें झपकाएं: पलकें झपकाना आंखों को नम और साफ रखने का प्राकृतिक तरीका है. इससे आंखों की पूरी सतह पर आंसू फैलते हैं. आंखे धूल, हानिकारक तत्वों और तेज रोशनी से सुरक्षित रहती हैं.
सही रोशनी का इस्तेमाल करें: आंखों का खिंचाव कम करने के लिए सही रोशनी बहुत जरूरी है. अपने काम की जगह पर हल्की और चकाचौंध-रहित रोशनी का इस्तेमाल करें. तेज या बहुत अधिक रोशनी से बचें. स्क्रीन पर पड़ने वाली चकाचौंध को कम करने के लिए एंटी-ग्लेयर कंप्यूटर मॉनिटर या ग्लेयर फिल्टर्स का उपयोग करें.
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