शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि शाह का फर्जी वीडियो आरोपी व्यक्तियों द्वारा उन्हें बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से व्यापक रूप से साझा किया गया था. शिकायत के अनुसार, फर्जी वीडियो में शाह को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण अधिकारों में कटौती की घोषणा करते हुए दिखाया गया है. हालांकि, करपे ने कहा कि मूल वीडियो, जहां से यह फर्जी वीडियो बनाया गया है, उसमें पूरी तरह से अलग शब्द और अर्थ हैं.
आरोपी व्यक्तियों ने भाषण का डीप फेक वीडियो बनाया और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किया. उन्होंने कहा कि पुलिस को तुरंत डीप फेक वीडियो को हटाना चाहिए और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए, जिन्होंने इसे विभिन्न जातियों में व्यवधान, दुश्मनी और नफरत पैदा करने के इरादे से साझा किया.
दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसावे का कारण बनना), 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 465 (जालसाजी), 469 (किसी पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी), और 171 जी (चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से गलत बयान प्रकाशित करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
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