एनसीपी की एक बैठक में बोलते हुए छगन भुजबल ने कहा कि जब हम गठबंधन (बीजेपी-शिवसेना) में शामिल हुए, तो हमें विधानसभा चुनाव में लड़ने के लिए 80 से 90 सीटें मिलने का आश्वासन दिया गया था. हालांकि, इस लोकसभा चुनाव में हमें लड़ने के लिए बहुत कम सीटें मिलीं.
हम चुनाव लड़ने के लिए चाहते हैं अधिक सीटें- भुजबल
छगन भुजबल ने आगे कहा, "हमें उन्हें (बीजेपी) बताना चाहिए कि हम चुनाव लड़ने के लिए अधिक सीटें चाहते हैं ताकि हम लगभग 50 से 60 सीटें जीत सकें." राज्य की 288 सीटों में से, बीजेपी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 105 सीटें जीती थीं, जबकि अविभाजित एनसीपी ने 54 सीटें हासिल की थीं. उन्होंने आश्चर्य जताया, ''अगर पार्टी के पास मौजूद विधायकों की संख्या के कारण हमें चुनाव लड़ने के लिए 50 सीटें मिलती हैं तो वास्तव में उन 50 में से कितने लोग चुने जाएंगे.''
एनसीपी नेता ने उन रिपोर्टों पर भी नाराजगी व्यक्त की कि मनुस्मृति एक प्राचीन हिंदू पाठ है, संभवतः स्कूलों में पढ़ाया जाएगा. हमने दलितों को यह समझाने में बहुत ऊर्जा खर्च की कि 400 से अधिक लोकसभा सीटें जीतने के बीजेपी के आह्वान का मतलब यह नहीं है कि पार्टी आरक्षण लाभ को हटाने के लिए संविधान को बदल देगी. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विपक्ष के उन दावों का खंडन किया. अब, ऐसी खबरें हैं कि स्कूलों में मनुस्मृति लागू होने की संभावना है.
देवेंद्र फडणवीस ने क्या कुछ कहा?
वहीं छगन भुजबल की टिप्पणियों के बारे में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और इस चुनाव में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि, सीटों का बंटवारा तीनों दलों के नेताओं की बैठक और चर्चा के बाद ही फॉर्मूले को अंतिम रूप दिया जाएगा.
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