मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जांच में शामिल दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि संदिग्ध ने संभवतः अपनी पहचान छिपाने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया है. पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोगों पर नजर रखना मुश्किल हो सकता है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने यह भी कहा कि उन्हें गहरी साजिश का संदेह है.
पुलिस ने आईटी एक्ट की धाराओं में दर्ज की FIR
हालांकि, इस मामले में दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट के तहत आपराधिक साजिश, गुमनाम संचार और अन्य आरोपों में मामला दर्ज कर लिया है. जबकि, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि निश्चित रूप से, ऐसे ईमेल आईडी एड्रेस कोई भी, किसी भी जगह से बना सकता है. फिलहाल इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच-पड़ताल शुरू कर दी है.
वहीं, जांच में शामिल दिल्ली पुलिस के अधिकारी का कहना है कि ये धमकी रूस स्थित डोमेन वाली आईडी 'savariim@mail.ru' से भेजी गई थी, लेकिन हो सकता है कि यूजर ने अपना आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) बनाए रखने के लिए आईडी की एक सीरीज से ईमेल को बाउंस कर दिया हो. इसमें पता छिपा हुआ है. संभावना है कि आईपी एड्रेस वीपीएन से जुड़े हो सकते हैं.
इंटरपोल को लेटर लिखकर मांगी जाएगी मदद
अधिकारी ने कहा कि हम इंटरपोल को एक डेमी ऑफिशियल (डीओ) को लेटर भेजकर उनसे मदद मांगेंगे, जिसमें ईमेल एड्रेस के लिए साइन अप करने वाले शख्स का ब्योरा मांगा जाएगा. इस मामले में दिल्ली पुलिस के अधिकारी का कहना है कि हम जीमेल भेजने वाले रजिस्टर्ड यूजर की डीटेल जानने में मदद के लिए रूसी कंपनी से भी संपर्क करेंगे.
रूसी डोमेन का इस्तेमाल
बता दें कि, Mail.ru रूसी कंपनी VK द्वारा सर्विस दी जाने वाली ईमेल सेवा है. ठीक उसी तरह जैसे Gmail या Outlook क्रमशः Google और Microsoft द्वारा प्रदान की जाने वाली ईमेल सेवाएं हैं. इस मामले में, .ru रूसी वेबसाइटों के लिए देश कोड का डोमेन है, जैसे .in भारत के लिए है. जीमेल और आउटलुक की तरह ही, दुनिया में कहीं पर भी बैठा कोई भी शख्स Mail.ru अकाउंट बना सकता है और ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है. पुलिस का कहना है कि इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि ईमेल रूस से ही भेजा गया था.
गौरतलब है कि पिछले साल 12 अप्रैल को भी साउथ दिल्ली के सादिक नगर स्थित द इंडियन स्कूल को फर्जी धमकी भेजने के लिए भी .ru कंट्री कोड का इस्तेमाल किया गया था. यह जानने के लिए कि फर्जी ईमेल कहां से आई, इसके लिए जांच एजेंसियों को भेजने वाले शख्स के जीमेल अकाउंट के बारे में जानने के लिए रूसी कंपनी से संपर्क करना होगा.
हालांकि, कंपनी यूजर्स के अनुरोध को किसी तीसरे देश में स्थित सर्वर के जरिए किसी वेबसाइट (जैसे Google.com) या ऑनलाइन सेवा पर दोबारा भेजते हैं. सेवा प्रदाता (इस मामले में Google.com) से यूजर्स के स्थान और आईपी पते को वीपीएन सर्वर से बदल देते हैं. इसने जांच-एजेंसियों के लिए ऑनलाइन अपराध कर रहे अपराधियों को ट्रैक करना कठिन बना दिया है.
पिछले 2 सालों में 3 स्कूलों को 5 फर्जी धमकी भरे ईमेल मिले
उधर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बीते नवंबर 2022 और मई 2023 के बीच, दिल्ली के तीन स्कूलों को कम से कम पांच फर्जी धमकी भरे ईमेल मिले थे. जिसमें से दो स्कूलों को ऐसे दो-दो ईमेल मिले, जबकि तीसरे स्कूल को एक ईमेल मिला था. वहीं, दो स्कूलों में से साउथ दिल्ली के सादिक नगर में इंडियन स्कूल को पहला फर्जी धमकी भरा ईमेल 28 नवंबर, 2022 को "jhonfoster@tutanota.com" से और दूसरा 12 अप्रैल को "jhonmaddison77@rambler.ru" से मिला.
पुलिस के अनुसार, पहली ईमेल आईडी जर्मनी स्थित एक सेवा प्रदाता के जरिए बनाई गई थी. वहीं, इस कंपनी ने इंटरपोल के जरिए मिली जांच टीम को अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उसके पास ईमेल पते पर कोई स्टॉक डेटा नहीं है. क्योंकि इसका इस्तेमाल फ्री किया गया था न कि भुगतान किए गए खाते के तौर पर. दूसरे ईमेल का आईपी पता, जिसमें रूसी सेवा प्रदाता की सुविधा का उपयोग किया गया था, ऑस्ट्रिया में पाया गया था. चूंकि यह वीपीएन से जुड़ा था इसलिए इसकी कनेक्टिविटी स्थापित नहीं हो सकी. फिलहाल, ये दोनों ही मामले अभी भी अनसुलझे हैं.
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