चीन इस इलाके में पाकिस्तान को बड़ी सहायता मुहैया करा रहा है. एलओसी के आस-पास के क्षेत्र में एन्क्रिप्टेड संचार टावरों की स्थापना और भूमिगत फाइबर केबल बिछाने का काम चल रहा है. इसके अलावा चीनी रडार सिस्टम 'JY' और 'HGR'को मध्यम और कम ऊंचाई वाले लक्ष्य का पता लगाने के लिए तैनात किया गया है. इनकी मदद से पाकिस्तानी सेना और वायु रक्षा इकाइयों को जरूरी खुफिया मदद मिल सकेगी.
एलओसी पर चीनी तोप तैनात
अधिकारियों ने बताया कि LOC पर चीनी 155 मिमी ट्रक-माउंटेड होवित्जर तोप एसएच-15 को एलओसी के साथ कई जगहों पर देखा गया है. चीन के इस कदम को पाकिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करने और विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से संबंधित चीनी निवेश की सुरक्षा के तौर पर देखा जा रहा है.
चीनी सैनिक पीओके में बना रहे सुरंग
अधिकारियों ने बताया कि अग्रिम चौकियों पर चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी नहीं देखी गई, लेकिन कुछ इंटरसेप्ट्स से पता चला है कि चीनी सैनिक और इंजीनियर एलओसी पर भूमिगत बंकरों का निर्माण कर रहे थे. उन्होंने कहा कि चीनी विशेषज्ञ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की लीपा घाटी में सुरंग निर्माण में लगे हुए थे. इससे लग रहा था कि यह सुरंग काराकोरम राजमार्ग से जोड़ने के लिए सभी मौसम वाली सड़क बनाने का हिस्सा है.
यह रणनीतिक कदम बीजिंग की महत्वाकांक्षी 46 अरब डॉलर की सीपीईसी परियोजना से जुड़ा है. इसका लक्ष्य चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र काराकोरम राजमार्ग के माध्यम से पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह और चीन में शिनजियांग प्रांत के बीच एक सीधा मार्ग स्थापित करना है.
सीमापार से भारत की बढ़ी चिंता
इस क्षेत्र में चीनी सैन्य कर्मियों की लगातार उपस्थिति ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं, भारत पहले भी गिलगित और बाल्टिस्तान में चीनी गतिविधियों पर आपत्ति जताई है. अधिकारियों ने कहा कि तनाव बरकरार रहने के कारण भारत सतर्क है और सीमा पार से पैदा होने वाले किसी भी संभावित खतरे को विफल करने के लिए तैयार है.
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