संजय राउत ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, "वनराई थाने के इंस्पेक्टर पीआई राजभर अचानक छुट्टी पर क्यों चले गए? वायकर का खास आदमी, जो उनका रिश्तेदार बताया जाता है, उस पर आरोप है कि उसने पुलिस स्टेशन से रवींद्र वायकर का मोबाइल फोन बदलने की कोशिश की. सेवानिवृत्त पीआई सातारकर चार दिन से वनराई पुलिस स्टेशन में कार्यरत थे? वनराई पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज को तुरंत जब्त कर जांच की जानी चाहिए."
उन्होंने आगे कहा कि "रवीन्द्र वायकर की जीत असली नहीं है. सुना है कि जिस फोन की बात हो रही है उसे फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया है. पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना के मामले में निर्दोष आरोपियों के खून के सैंपल को लैब कर्मचारियों द्वारा बदल दिया गया और उन्हें क्लीन चीट दे दी गई!"
कांग्रेस ने लगाया गंभीर आरोप
कांग्रेस ने 'मिड डे' अखबार की एक रिपोर्ट शेयर करते सवाल पूछा कि EVM से जुड़ा इस तरह का गंभीर मामला कैसे हुआ. मुंबई में महायुति के उम्मीदवार रवींद्र वायकर के रिश्तेदार का मोबाइल फोन कथित तौर पर ईवीएम से जुड़ा था. इस सीट पर शिवसेना प्रत्याशी वायकर की जीत सिर्फ 48 वोट से हुई. कांग्रेस ने सवाल किया है कि आखिर वायकर के रिश्तेदार का मोबाइल EVM से क्यों जुड़ा था? जहां वोटों की काउंटिंग हो रही थी, वहां मोबाइल फोन कैसे पहुंचा? इस बारे में चुनाव आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन गोरेगांव के नेस्को वोटिंग सेंटर में मोबाइल आदि के इस्तेमाल किए जाने पर पाबंदी होने के बावजूद रवींद्र वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर ने कथित तौर पर मोबाइल का इस्तेमाल किया था. मंगेश को मोबाइल चुनाव आयोग के एक कर्मचारी दिनेश गुरव ने मुहैया कराया था. इस मामले की शिकायत मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की अतिरिक्त सहायक चुनाव अधिकारी सुचित्रा पाटील ने वनराई पुलिस में की थी.
बता दें शिवसेना (यूबीटी) नेता अमोल कीर्तिकर को 4,52,596 वोट और रवींद्र वायकर को 4,52,644 वोट मिले थे. री-काउंटिंग के बाद वायकर 48 वोटों से विजेता घोषित किए गए थे.
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