4 जून को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं. उनकी पार्टी ने भी यूपी में 37 सीटें हासिल की हैं. सपा की इस बड़ी सफलता के बाद उनकी पार्टी का केंद्र में भी कद बढ़ गया है. ऐसे में बड़ी ज़िम्मेदारी को देखते हुए और पार्टी को आगे बढ़ाने के इरादे से अब अखिलेश यादव ने केंद्र की राजनीति में बढ़ने का फैसला लिया है.
दिल्ली की राजनीति संभालेंगे अखिलेश यादव
लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतकर अब समाजवादी पार्टी यूपी की सबसे बड़ी राजनीतिक दल बन गई है. वहीं केंद्र में भी पार्टी का कद बढ़ गया है. सपा देश में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे ज्यादा सांसदों वाली पार्टी बन गई है. जिसके बाद अब अखिलेश यादव ने केंद्र की राजनीति में जाने का मन बनाया है. अखिलेश यादव के केंद्र में जाने के बाद उनका आक्रामक अंदाज लोकसभा में दिखाई देगा.
सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव के करहल से इस्तीफा देने के बाद यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की सीट भी खाली हो जाएगी. इस पद के लिए अभी सबसे आगे चाचा शिवपाल यादव का नाम चल रहा है. सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव का नाम इस पद की दौड़ में सबसे ऊपर बताया जा रहा है.
सपा अध्यक्ष ने साल 2019 के चुनाव में भी आजमगढ़ लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में सपा-बसपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन इसका कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला. सपा को सिर्फ पांच सीटों पर ही जीत मिली थी. जिसके बाद 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में करहल सीट से चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने सांसदी से इस्तीफा दे दिया था.
अखिलेश यादव इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. उन्होंने कन्नौज सीट से पहले अपने चचेरे भाई तेज प्रताप यादव को टिकट दिया था लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग पर आखिरी वक्त में उन्होंने अपना पर्चा दाखिल कर दिया. जिसके बाद उन्होंने बीजेपी के सुब्रत पाठक को भारी अंतर से हरा दिया.
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